रायपुर: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में बीते सप्ताह औषधि प्रशासन और पुलिस विभाग की संयुक्त छापेमारी में नशीली दवाओं के अवैध व्यापार का पर्दाफाश हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत यह कार्रवाई न केवल चौंकाने वाली रही, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मेडिकल व्यवसाय के आवरण में किस तरह कुछ लोग जानलेवा व्यापार को अंजाम दे रहे हैं।
छापेमारी की यह कार्रवाई दुर्ग की देवभगत फार्मेसी और सिन्हा मेडिकल स्टोर (पाटन) पर की गई, जहां औषधि निरीक्षकों ने पुलिस बल के साथ दबिश दी। जांच के दौरान इन दुकानों में बिना वैध बिल और दस्तावेजों के प्रतिबंधित नारकोटिक दवाएं-जैसे ट्रामाडोल, कोडीन युक्त कफ सिरप, एमटीपी किट इत्यादि भारी मात्रा में पाई गईं। इन दवाओं का उपयोग सामान्य चिकित्सा के बजाय प्रायः नशे के लिए अथवा गैर-कानूनी गर्भपात जैसी गतिविधियों में किया जाता है, जो न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी बेहद चिंताजनक है।
कार्रवाई के बाद प्रशासन ने दोनों मेडिकल स्टोर्स की औषधि अनुज्ञप्तियाँ तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी हैं। इसके साथ ही औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत विस्तृत कानूनी कार्रवाई जारी है। सूत्रों के अनुसार इन मेडिकल स्टोर्स से जुड़े अन्य व्यापारिक या चिकित्सकीय नेटवर्क की भी जांच की जा रही है।
क्या कहता है प्रशासन
औषधि नियंत्रक विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि “प्रदेश में किसी भी हाल में नशीली, प्रतिबंधित या गैरकानूनी दवाओं की बिक्री को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी संस्थान नियमों को ताक पर रखकर जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करेंगे, उन पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।”
विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसी दवाएं अक्सर उन क्षेत्रों में खपाई जाती हैं, जहां युवा वर्ग, नशे की लत या सस्ती दवाओं की पहुँच के प्रति संवेदनशील होते हैं। ट्रामाडोल जैसी दवाएं, जो सीमित चिकित्सकीय उपयोग के लिए अनुमोदित हैं, यदि बिना नियंत्रण के खुले बाजार में बिकें, तो यह सामाजिक स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी है।
जनता से अपील
प्रशासन ने आम नागरिकों से भी अपील की है कि यदि किसी भी मेडिकल स्टोर में संदिग्ध गतिविधियाँ या नशीली दवाओं की अवैध बिक्री होती दिखाई दे, तो तत्काल संबंधित अधिकारियों को सूचना दें।